Monday, September 3, 2018

दीपावली +91-8448976749

दिवाली है, जिसके लिए घरों में तैयारियां जोरों पर हैं। लोग बाजारों में जमकर सामान खरीद रहे हैं लेकिन क्या आपको पता है कि हम 'दिवाली' क्यों मनाते हैं और क्या है इस खूबसूरत पर्व का महत्व और अर्थ।



दीपावली


दिवाली, एक धार्मिक, विविध रंगों के प्रयोग से रंगोली सजाने, प्रकाश औऱ खुशी का, अंधकार हटाने का, मिठाईयों का,पूजा आदि का त्यौहार है, जो पूरे भारत के साथ साथ देश के बाहर भी कई स्थानों पर मनाया जाता है। यह रोशनी की कतार या प्रकाश का त्यौहार कहा जाता है। यह सम्पूर्ण विश्व में मुख्यतः हिन्दूओं और जैनियों द्वारा मनाया जाता है।उस दिन बहुत से देशों जैसे तोबागो, सिंगापुर, सुरीनम, नेपाल, मारीशस, गुयाना, त्रिनद और श्री लंका, म्यांमार, मलेशिया और फिजी में राष्ट्रीय अवकाश होता है।
दिवाली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है और वो दो शब्द हैं 'दीप' अर्थात 'दीपक' और 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' जिसका मतलब हुआ 'दीपकों की श्रृंखला' दीपक को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है।

सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ।


सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ।

हिन्दू धर्म के अनुसार दीपावली के दिन धन की देवी महालक्ष्मी के साथ विघ्न-विनाशक श्री गणेश की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की भी पूजा-आराधना की जाती है. कहा जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या की आधी रात में देवी लक्ष्मी धरती पर आती हैं और हर घर में जाती हैं. जिस घर में स्‍वच्‍छता और शुद्धता होती है वह वहां निवास करती हैं. भारत के त्योहारों में दीपावली काफी विशिष्ट स्थान रखती है. इस त्योहार के अवसर पर घरों और दूकानों को सजाया-संवारा जाता है, उनकी साफ-सफाई की जाती है. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष रुप से की जाती है. हिन्दू धर्म के अनुसार दीपावली के दिन धन की देवी महालक्ष्मी के साथ विघ्न-विनाशक श्री गणेश की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की भी पूजा-आराधना की जाती है. कहा जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या की आधी रात में देवी लक्ष्मी धरती पर आती हैं और हर घर में जाती हैं. जिस घर में स्‍वच्‍छता और शुद्धता होती है वह वहां निवास करती हैं. 5 दिनों का है ये त्योहार
दीपावली तीनों पर्वों का मिश्रण है, ये हैं- धनतेरस, नरक चतुर्दशी और महालक्ष्मी पूजन. नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली भी कहा जाता है. दीपावली की शुरूआत धनतेरस से होती है, जो कार्तिक मास की अमावस्या के दिन पूरे चरम पर आती है. कार्तिक मास की अमावस्या की रात को घरों और दुकानों में दीपक, मोमबत्तियां और बल्ब लगाए और जलाए जाते हैं.



14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने का प्रतीक है दीवाली. अपने पिता राजा दशरथ के आदेश के बाद भगवान राम 'वनवास' के लिए गए थे. इस दौरान उन्‍होंने भारत के जंगलों और गांवों में 14 साल बिताए. अपने वनवास के अंत में दस मुखी लंका के राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था. इसके बाद भगवान राम ने रावण से युद्ध किया और रावण को मारकर अपनी पत्‍नी को लेकर वापिस अयोध्‍या लौटे. महाकाव्य रामायण में भगवान राम की जीत बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
बुराई पर अच्छाई की जीत दिवाली को बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय से जोड़कर देखते हैं। इसलिए इस दिन केवल घरों को ही दियों से रौशन ना करें बल्कि अपने अंदर के अंधकार को भी मिटाने का कष्ट करें।


भगवान की पूजा और त्यौहारोत्सव हमें अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाता है, हमें अच्छे कार्यों को करने के प्रयासों के लिये शक्ति देता है, देवत्व के और ज्यादा करीब लाता है। घर के चारों ओर दिये और मोमबत्ती जलाकर प्रत्येक कोने को प्रकाशमान किया जाता है। यह माना जाता है कि पूजा और अपने करीबी और प्रियजनों को उपहार दिये बिना यह त्यौहार कभी पूरा नहीं होता है। त्यौहार की शाम लोग दैवीय आशीर्वाद पाने के उद्देश्य से भगवान की पूजा करते है। दिवाली का त्यौहार वर्ष का सबसे सुंदर और शांतिपूर्ण समय लाता है जो मनुष्य के जीवन में असली खुशी के पल प्रदान प्रदान करता है।
दिवाली के त्यौहार पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है ताकि सभी अपने मित्रों और परिवार के साथ त्यौहार का आनन्द ले सकें। लोग इस त्यौहार का बहुत लम्बे समय से इंतजार करते है और इसके नजदीक आते ही लोग अपने घरों, कर्यालयों, कमरों, गैराजों को रंगवाते और साफ कराते है और अपने कार्यालयों में नयी चैक बुक, डायरी और कलैण्डर वितरित करते है। वे मानते है कि साफ सफाई और त्यौहार मनाने से वे जीवन में शान्ति और समृद्धि प्राप्त करेंगें। सफाई का वास्तविक अर्थ दिल के हर कोने से सभी बुरे विचार, स्वार्थ और दूसरों के बारे में कुदृष्टि की सफाई से है।
व्यापारी अपने वर्ष के खर्च और लाभ जानने के लिये अपने बहीखातों की जॉच करते है। शिक्षक किसी भी विषय में अपने छात्रों की प्रर्दशन और प्रगति का निरीक्षण करते है। लोग उपहार देने के माध्यम से दुश्मनी हटाकर सभी से दोस्ती करते है। कॉलेज के छात्र अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों को दिवाली कार्ड और एस एम एस भेजते है। आज कल इंटरनेट के माध्यम से दीवाली ई-कार्ड या दीवाली एसएमएस भेजने के सबसे लोकप्रिय चलन बन गया है। भारत में कुछ स्थानों पर दीवाली के मेले आयोजित किये जाते है जहां लोग आनंद के साथ नए कपड़े, हस्तशिल्प, कलाकृतियॉं, दीवार के पर्दे, गणेश और लक्ष्मी, रंगोली, गहने और उनके घर के अन्य जरूरी चीजों के पोस्टर खरीदने के लिये जाते है।
घर के बच्चे एनीमेशन फिल्म देख कर, अपने दोस्तों के साथ चिङिया घऱ देख कर, दिवाली पर कविता गा कर, माता पिता के साथ आरती करके, रात को आतिशबाजी करके, दिये और मोमबत्ती जला कर, हाथ से बने दिवाली कार्ड देकर, खेल खेल कर यह त्यौहार मनाते है। घर पर माँ कमरे के बिल्कुल बीच में रंगोली बनाती है, नयी और आकर्षक मिठाईयॉ, नये व्यंजन जैसे गुँजिया, लड्डू, गुलाब जामुन, जलेबी, पेडे और अन्य तरह के व्यजंन बनाती है।


हिंदू कैलेंडर के अनुसार दीवाली अश्विन के महीने में कृष्ण पक्ष की 13 वें चंद्र दिन (जो भी अंधेरे पखवाड़े के रूप में जाना जाता है) पर मनाया जाता है। यह परम्परागत रुप से हर साल मध्य अक्टूबर या मध्य नवम्बर में दशहरा के 18 दिन बाद मनाया जाता है। यह हिन्दूओं का बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है।
दिवाली का त्यौहार हर साल बहुत सारी खुशियों के साथ आता है और पॉच दिनों से अधिक समय धनतेरस से भाई दूज पर पूरा होता है।कुछ स्थानों पर जैसे कि महाराष्ट्र में यह छह दिनों में पूरा होता है (वासु बरस या गौवास्ता द्वादशी के साथ शुरू होता है और भईया दूज के साथ समाप्त होता है)।

दिवालीक्यों मनायी जाती है

दिवाली हर साल हिन्दूओं और अन्य धर्म के लोगो द्वारा मुख्य त्यौहार के रुप में मनायी जाती है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, दिवाली का त्यौहार मनाने के बहुत सारे कारण है और नये वर्ष को ताजगी के साथ शुरु करने में मनुष्यों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोगों की यह मान्यता है कि जो वे इस त्यौहार पर करेगें वहीं पूरे साल करेगें। इसलिये लोग अच्छे काम करते है, धनतेरस पर खरीदारी करना, घर के प्रत्येक कोने को प्रकाशित करना, मिठाई बॉटना, दोस्ती करना, भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी जी की शान्ति और समृद्धि पाने के लिये पूजा करना, अच्छा और स्वादिष्ट भोजन करना, अपने घरों को सजाना और अन्य गतिविधियॉ जिससे वे पूरे साल ऐसा कर सकें। शिक्षक नियमित क्लास लेते है, विधार्थी अधिक घण्टें अध्ययन करते है, व्यवसायी अपने खातों को अच्छे से तैयीर करते है ताकि वे पूरे साल ऐसे ही रहें। हिन्दू मान्यता के अनुसार, दिवाली मनाने के निम्नलिखित बहुत सारे पौराणिक और ऐतिहासिक कारण है।
भगवान राम की विजय और आगमन: हिन्दू महाकाव्य रामायण के अनुसार, भगवान राम राक्षस राजा रावण को मारकर और उसके राज्य लंका को अच्छी तरह से जीतकर अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने राज्य, अयोध्या, बहुत लम्बे समय(14 वर्ष) के बाद वापस आये थे। अयोध्या के लोग अपने सबसे प्रिय और दयालु राजा राम, उनकी पत्नी और भाई लक्ष्मण के आने से बहुत खुश थे। इसलिये उन्होनें भगवान राम का लौटने का दिन अपने घर और पूरे राज्य को सजाकर, मिट्टी से बने दिये और पटाखे जलाकर मनाया।
देवीलक्ष्मी का जन्मदिन: देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की स्वामिनी है। यह माना जाता है कि राक्षस और देवताओं द्वारा समुन्द्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी दूध के समुन्द्र (क्षीर सागर) से कार्तिक महीने की अमावश्या को ब्रह्माण्ड में आयी थी। यही कारण है कि यह दिन माता लक्ष्मी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में दिवाली के त्यौहार के रूप में मनाना शुरू कर दिया।
भगवानविष्णु ने लक्ष्मी को बचाया: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक महान दानव राजा बाली था, जो सभी तीनों लोक (पृथ्वी, आकाश और पाताल) का मालिक बनना चाहता था, उसे भगवान विष्णु से असीमित शक्तियों का वरदान प्राप्त था। पूरे विश्व में केवल गरीबी थी क्योंकि पृथ्वी का सम्पूर्ण धन राजा बाली द्वारा रोका हुआ था। भगवान के बनाये ब्रह्मांण्ड के नियम जारी रखने के लिए भगवान विष्णु ने सभी तीनों लोकों को बचाया था (अपने वामन अवतार, 5 वें अवतार में) और देवी लक्ष्मी को उसकी जेल से छुडाया था। तब से, यह दिन बुराई की सत्ता पर भगवान की जीत और धन की देवी को बचाने के रूप में मनाया जाना शुरू किया गया।

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